धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
बृहस्पतिदेव की कथा
कहे अयोध्या आस shiv chalisa lyricsl तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
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ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
आज के युग में शिव चालीसा पाठ more info व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिव चालीसा लिरिक्स की सरल भाषा के मध्यम भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र